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सम्यमन
चिन्ताओं से मुक्त एवं तनावों से रहित सुख और शान्तिपूर्ण जीवन जीता है, उसी प्रकार साधक व्यक्ति भी अपने योगक्षेम की समस्त जिम्मेदारियों को परमात्मा पर छोड कर एक निश्चिन्त, तनावरहित, शान्त और सुखद जीवन जी सकता है । इस प्रकार तनावरहित, शान्त और समत्वपूर्ण जीवन जीने के लिए सम्यग्दर्शन से या श्रद्धा युक्त होना आवश्यक है । उसी से वह दृष्टि मिलती है जिसके आधार पर हम अपने ज्ञान को भी सही दिशा में नियोजित कर उसे यथार्थ बना लेते हैं ।