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जैन दृष्टि से चा रित्र - वि का स
आत्मिक विकास मोहशक्ति की प्रबलता
मिथ्या दृष्टि अल्पकालीन सम्यक् दृष्टि
मिश्र दृष्टि ग्रन्थिभेद व सम्यक् श्रद्धा
देशविरति
सर्वविरति अप्रमत्त अवस्था
अपूर्वकरण स्थूल कषाय सूक्ष्म कपाय उपशात कषाय क्षीण कषाय सदेह मुक्ति
विदेह मुक्ति जैन गुणस्थान, वौद्ध अवस्थाएँ व वैदिक भूमिकाएँ
योगदृष्टियाँ ओघदृष्टि व योगदृष्टि