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जैनाचार की भूमिका . २५
धर्मों का निपेध तो नही होता किन्तु प्रयोजनाभाव के कारण उनके प्रति उपेक्षाभाव अवश्य रहता है । विकल अर्थात् अपूर्ण वस्तु के कथन के कारण इसे विकलादेश कहा जाता है। इस प्रकार अहिंसा और अनेकान्तवाद की मूल भित्ति पर ही जैनाचार के भव्य भवन का निर्माण हुआ है।