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________________ राखी की लाज फूलों की बोली बाँस की फाँस काश्मीर का काँटा झाँसी की रानी हंस-मयूर पायल मंगल-सूत्र खिलौने की खोज पूर्व की ओर बीरबल सगुन जहाँदारशाह लो भाई, पंचो लो पीले हाथ वृन्दावनलाल वर्मा रचनाओं का काल-क्रम (एकांकी) 33 ود 33 इतिहास और कल्पना २३७ १६४३ १६४७ १६४७ १६४८ १६४८ १६४६ १६४६ १६४६ १६३० १६५० १६५० १६५० १६५० १६४८ १६४८ वर्मा जी ने ऐतिहासिक नाटकों की परम्परा हिन्दी में जागृत रखी। प्रसाद और प्रेमी की ऐतिहासिक नाटकीय सम्पत्ति में आपने और भी वृद्धि की । ऐतिहासिक काल-क्रम को लें तो वर्मा जी के नाटकों का काल ईस्वी सन् २८० से आज तक का है। 'पूर्व की ओर' आपका पहला नाटक है। पल्लव राजकुमार अश्वतुङ्ग या अश्व वर्मा इस नाटक का नायक है, जो वीर वर्मा का भतीजा था और अपने दुष्कर्म और देश घातक कार्य-कलापों के कारण वीर वर्मा द्वारा धान्यकटकर (दक्षिण भारत ) से निकाल दिया गया और वह अपने साथियों के साथ एक यान में बैठकर नाग द्वीप होता हुआ जावा, बोनियों आदि पहुँचा । 'फूलों की बोली' अरबी यात्री अलबेरुनी की 'किताबुल हिन्दु' की एक कथा के आधार पर लिखा गया है। उज्जैन के व्यादि नामक एक व्यापारी की कथा इसमें दी गई है जो किसी रासायनिक सिद्ध से सोना बनाना सीखना चाहता है और अपनी समस्त सम्पत्ति से भी हाथ धो बैठता है । अलबेरुनी १०३० ई० में भारत श्राया था । 'बीरबल' का समय सोलहवीं शताब्दी -अकबर का राज्य-काल है । 'झाँसी
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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