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उपेन्द्रनाथ 'अश्क' का बिजली की गति से प्रस्थान-चिरस्थायी प्रभाव डालते हैं । 'कैद' और 'छठा बेटा' का अन्त तो हृदय पर सघन धुंधली छाया डाल जाता है।
चरित्र-चित्रण और भाषा भी अभिनय में सहायक होते हैं, इस विषय. में कहना व्यर्थ है । 'अश्क' की भाषा नाटकोचित है, चुस्त है, भाव-प्रकाशन में सफल है। चरित्र की दृष्टि से उसके सभी नाटक सफल हैं। बातचीत करते हुए पात्रों द्वारा मुख पर विभिन्न भात्रों का प्रदर्शन और स्वाभाविक रूप में गतिशील रहना अभिनय में और भी जान डाल देता है।