________________
सेठ गोविन्ददास
२१५
संवाद आदि की दृष्टि से 'कुलीनता' भी अच्छा नाटक है । इसका अभि नय तीनों बड़े नाटकों में सबसे अधिक शानदार प्रभावशाली और रसानुभूति से पूर्ण हो सकता है । इसमें एक-दो स्थलों को छोड़कर संवाद संक्षिप्त, प्रभावशाली, चुस्त और सशक्त हैं। सभी दृष्टियों से बड़े नाटकों में यह सबसे अधिक प्रभावशाली है । चरित्र चित्रण आदि की दृष्टि से भी इसमें लेखक ने परिश्रम किया है । यदुराय में तीखापन है । चण्डपीड में सामान्ती शान और अहं । सुरभी पाठक में ब्राह्मण का दिव्य तेज । इस नाटक में घटनाए भी हैं । इसका आदि और अन्त भी बहुत शानदार है । अभिनय के लिए आदि और अन्त भी प्रभावोत्पादक है । यह प्रसादान्त है । दुःखान्त में भी सुखान्त ।
अभिनय की दृष्टि से 'कर्ण' सबसे कमजोर नाटक है । कार्य-व्यापार की भी उसमें कभी है । स्वगत-संवाद तो इसमें अन्य सभी नाटकों से बहुत बड़े हैं । और जैसा कि ऊपर बताया, अनेक असम्भव दृश्य भी इसमें हैं । अभिनय, कला, चरित्र, भाषा, आदि सभी दृष्टियों से 'दुःख क्यों' छोटे और सामाजिक नाटकों में और 'कुलीनता' बड़े और ऐतिहासिक पौराणिक नाटकों में सबसे अच्छे हैं ।