________________
सेठ गोविन्ददास
२०३ सामाजिक और राष्ट्रीय नाटकों के सभी पात्र माधुनिक जीवन के साधारणतया पाये जाने वाले पात्र हैं, उनकी परख की कसौटी प्राचीन शास्त्रीय परिभाषा नहीं हो सकती। उन पर साधारणीकरण या रसानुभूति वाला सिद्धांत भी लागू नहीं किया जा सकता । सभी पात्र आज के जीवन के उदाहरण हैंसभी पात्र समाज के उच्च, नीच या मध्यम वर्ग से चुने गए हैं। उनमें भी आदर्शवाद की झलक मिलेगी जैसे 'महत्त्व किसे' का कर्मचन्द । वह गांधीवादी है और इसलिए आदर्शवादी हो गया है। 'दुःख क्यों' का यशपाल हमारे समाज का एक दुहरे चरित्र वाला व्यक्ति है। वह अवसरवादी है। कहना चाहिए र गा सियार है। इसी नाटक में गरीबदास आदर्शवादी है । 'बड़ा पापी कौन' में सभी पात्र यथार्थवादी है। हमारे इस वर्तमान समाज में रहने वाले जन्म लेने वाले दुगुणों के शिकार और सद्गुणों के भण्डार । सेठ जी के नाटकों के चरित्रों को देखने से पता चलता है कि उनके चरित्र विभिन्न श्रेणियों के हैं—विभिन्न रंगों से चित्रित हैं और व्यक्ति-वैचित्र्य की माँग को भी पूरा करते हैं।
नारी-चरित्रों में सीता, राधा आदर्श नारी-चरित्र हैं। सीता में कर्तव्य पतिव्रत, श्रात्म-समर्पण, निष्काम सेवा, पति के प्रति आदर्श निष्ठा, सहिष्णुता, धर्म-पालन और शील सर्वोच्च मात्रा में पाये जाते हैं। उसके जीवन में पतिनिष्ठा और प्रात्म-समर्पण प्रथम है और प्रेम की माँग गौण । राधा के जीवन में भी सभी कुछ है, पर प्रेम उसके प्राणों की प्यास है और कृष्ण वह अमृत का सागर, जिसके प्रतिदान की लहरें उसकी प्यास बुझा सकती हैं। पर 'कर्तव्य' उत्तरार्ध राधा-कृष्ण-भक्तों की राधा से अधिक कर्मशील
और कर्तव्य-परायण है। कर्ण की पत्नी रोहिणी भी आदर्श पत्नी के रूप में हमारे सामने आती है। पर रोहिणी और 'कुलीनता' की रेवा सुन्दरी, 'शशिगुप्त' की हैलेन प्रेम-प्रधान नारियाँ हैं। 'महत्त्व किसे' की सत्यभामा 'बड़ा पापी कौन' की मलका और विजया यथार्थ नारियाँ हैं । 'दुःख क्यों' की 'सुखदा' बहुत ही सशक्त और प्रभावशाली चरित्र है। जीवन से समझौता करके भी नहीं कर पाती । वह नारी-चरित्रों में भी अनेक प्रकार के चरित्र गोविन्ददास के नाटकों में मिलेंगे।
राम और कृष्ण के चरित्र में गोविन्ददास कोई नवीन चमकदार रंग नहीं भर सके। उनके कार्य और चरित्र वही रामायण और महाभारत द्वारा वर्णित विश्व-विश्रत हैं। फिर भी इन्होंने उनको अधिक मानवीय बनाने का प्रयास किया है। उनमें अवतारवादी अतिमानवता कम कर दी है। पर