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हर्ष
सेठ गोविन्ददास
१६६ की । बड़े नाटकों के साथ ही आपने एकांकी के क्षेत्र में भी बहुत-सी रचनाएं की। श्रापके पंच-भूत', 'सप्त-रश्मि', 'अष्ट-इल', 'एकादशी', 'चतुष्पथ' आदि एकांकी-संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं। रचनाओं का काल-क्रम
१६३५ प्रकाश कर्तव्य (पूर्वार्ध) कर्तव्य (उत्तरार्ध) सेवा-पथ कुलीनता विकास शशिगुप्त
१९४२ दुःख क्यों? कर्ण महत्त्व किसे ? बड़ा पापी कौन ?
१९४८ दलित-कुसुम पतित सुमन हिंसा या अहिंसा संतोष कहाँ ? पाकिस्तान त्याग या ग्रहण नवरस सिद्धान्त-स्वातंत्र्य
समाज और समस्याएं गोविन्ददास जी ने सभी प्रकार के नाटक लिखे-पौराणिक, ऐतिहासिक और सामाजिक । जो सामग्री जीवन के जितने विस्तृत क्षेत्र और काल से ली जायगी, उसमें उतनी ही विभिन्न, उलझी, गम्भीर और कठिन समस्याए हमारे सामने प्रायंगी। भारतीय समाज, इसकी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास की आयु लाखों वर्षों की है। इन लाखों वर्षों में भारतीय समाज और व्यक्ति को न जाने कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इसे