________________
१६६
हिन्दी के नाटककार नाम ही कार्य-व्यापार नहीं है पर घटनाओं की गति-शीलता, पात्रों की सक्रियता, कथा का प्रवाह नाटकों में न होगा तो नाटक में शिथिलता श्रा जायगी। युद्ध के नाटकों में पात्रों में विद्युत् के समान गति, घटनाओं का तीव्रतर होना-घटनाओं की एक शृङ्खला-सी बन जाना आवश्यक है। यह हम भट्टजी के नाटकों में बहुन कम पाते हैं । ___विक्रमादित्य' के प्रथम अङ्क में कोई भी घटना नहीं घटती। दूसरे अंक का भी यही हाल है। पहले में केवल यह पता चलता है कि सोमेश्वर अपने छोटे भाई विक्रमादित्य के विरुद्ध चेंगी की सहायता करेगा और दूसरे में यह पता चलाता है कि चन्द्रलेखा का भाई चेंगी के द्वारा धोखे से मारा गया। कुल नाटक में तीसरे अङ्क का पाँचवाँ, पाँचवें अङ्क का तीसरा और दूसरे अङ्क का दूसरा दृश्य ही गतिवान और सक्रिय हैं। प्रायः शेष सभी दृश्य बैठे-बैठे वार्तालाप या विचार-विनिमय करने में ही समाप्त हो जाते हैं। ___ 'दाहर' का पहला दृश्य अत्यन्त स्फूर्ति के साथ सामने आता है। इसमें अभिनय की दृष्टि से भट्टजो के श्रेष्ठ दृश्य हैं। पाँचवाँ दृश्य भी जानदार और गतिवान है । इसमें भी अधिकतर दृश्य समाचार प्राप्त करने और विचारविनिमय के लिए रच डाले गए हैं। एक-दो घटनाओं के सिवा रंगमंच की घटनाए नहीं घटतीं । और 'कमला' में तो केवल एक घटना है कमला का गृहत्याग और नदी में डूबकर आत्म-हत्या, सो भी घटती वह भी नहीं, वह समाचार-पत्र में पढ़ कर मालूम होती है। पर घटनाएन होते हुए भी उसमें कार्य-व्यापार है। पात्रों में स्फूर्ति है, गतिशीलता भी है। अभिनेता यदि अच्छे हों तो इसके अभिनय में सक्रियता घटनाओं की नहीं, चारित्रक अवश्य आ जायगी। - 'सगर-विजय' के दूसरे अंक का दूसरा और पाँचवाँ ६श्य भी अच्छे हैं। 'मुक्ति-पथ' में तो अधिक कार्य-व्यापार की श्राशा ही न करनी चाहिए। तीसरा अंक तो सम्पूर्ण ही सिद्धार्थ के ज्ञान-लाभ और जनोद्वार का है। वह तो गम्भीर होगा ही । अन्य अंकों में अधिक शिथिलता नहीं है। उनमें कथावस्तु को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त गतिशीलता है। 'शक-विजय' भट्ट जी का नवीनतम नाटक है, यह कार्य-व्यापार की दृष्टि से उनके अन्य नाटकों से अधिक शिथिल है। पहला पूरा अङ्क बैठे-बैठे वार्तालाप धर्म-नीति को बहस या उपदेश से ही भरा है । दूसरे अङ्क में भी कोई घटना नहीं घटती। तीसरे चौथे और पाँचवें सभी दृश्यों का यह हाल है। पूरे नाटक में रंचमंच पर कोई घटना नहीं घटती । संवादों में घटना का वर्णन-भर कर दिया जाता है।