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उदयशंकर भट्ट चुके हैं। आपके एकांकियों में वर्तमान जीवन की विभिन्न तस्वीरें हैं। सामाजिक जीवन के दहकते दृश्य आपने अपने एकांकियों में अत्यन्त सफलता से उपस्थित किये हैं।
आधुनिक काव्य के अनेक प्रयोगों से प्रभावित होकर आपने अपनी काव्यरचना की है। उसमें प्रगतिशील भाव-धारा भी मिलेगी और रोमाण्टिक प्रयोग भी। 'राका', 'मानसी', विसर्जन', 'यथार्थ और कल्पना', 'युग-दीप', 'एकला चलो रे' आदि आपके 'काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उपन्यास-क्षेत्र में भी आपने प्रयास किया और 'वह, जो मैंने देखा' की रचना की।
रचनाओं का काल-क्रम विक्रमादित्य
१६३३ दाहर अथवा सिन्ध-पतन
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सगर-विजय
११३७ मत्स्यगंधा विश्वामित्र कमला राधा
१९४१ अन्तहीन अन्त
१९४२ मुक्ति-पथ शक-विजय कालिदास
१९५० मेघदूत विक्रमोर्वशी
इतिहास और कल्पना 'विक्रमादित्य', 'दाहर', 'मुक्ति पथ', और 'शक-विजय', भट्ट जी के ऐतिहासिक नाटक हैं। इतिहास-क्रम से 'मुक्ति-पथ', 'शक-विजय' 'विक्रमादित्य'
और 'दाहर'-यों रखा जा सकता है। प्रसाद द्वारा लिया गया इतिहास छोड़ दिया गया है । भट्ट जी ने इतिहास से वे कथाए ली, जो अनजानी थीं और __*भट्ट जी द्वारा लिखा गया 'विक्रमादित्य' गद्य-नाटक है, गीति-नाट्य नहीं। वाबू गुलाबराय इसे एक बार भी उठाकर देख लेते तो यह भ्रम न होता। 'काव्य के रूप में पृष्ठ ८८ पर आप लिखते हैं, "पंडित उदयशंकर भट्ट ने 'मत्स्यगंधा' और 'विक्रमादित्य' आदि गीति-नाट्य भी लिखे हैं।"