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"णाणं पयासयं सोहओ तो संजमो य गुत्तिक । तिण्हं पि समाओगे मोक्खो जिणसासणे भणिओ॥" ज्ञान प्रकाशक है, तप संशोधक है, संयम रक्षक है । तीनों के मिलने पर मुक्ति है।
"राग उदय जग अन्ध भयो,
सहजै सब लोगन लाज गँवाई । सीख बिना नर सीखत है,
विषयादिक सेवन की चतुराई । तापर और रचे रस काव्य,
कहा कहिए तिनको निठुराई । अंध असूमनि की अँखियान में, झोंकत है रज रामदुहाई ॥"
-भूधर दास