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अहमदा बाद का निवासी जातिका वैश्य, नाम लोंका, तिसने सावध व्यापार अर्थात् वाणिज्य छोड के आजीविका के निमित्तयतियों के पास से पराचीन अचाराङ्गादिभंडार गत जो शास्त्र थे उन में से लेकर कई एक शास्त्रों का उद्धार किया अर्थात् लिखे और पढे फिर पुराने शास्त्रों को देख के लोंका बहुत विस्मित हुआ कि अहो (इति आश्चर्य) शास्त्रों के विषे तो साधु का परमत्याग वैराग आदि निखद्य व्यवहार और निरवद्य उपदेश है
और ये यतिलोक तो उक्तोक्त मन कल्पित ग्रन्थानुसार सावद्य क्रिया प्रवर्तक और प्रवर्तावक है और बहुल संसार विधारक है, इति । फिर लोंका शास्त्रों को सुनाकर बहुत लोकों को यथार्थ मार्ग में प्रवर्ताने लगा और