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स्वाधाय करे और पढ़ना पढ़ाना सीखना सिखाना आदिक धर्मकार्य करता रहे
और जो पूर्व मन, वचन, काय करके नियमादिक में अतिचार वा अनाचार लगा हो तो अलोवना करे क्योंकि अलोवना तप बड़ा प्रधान है कि अपने अवगुण अपने मुख से कह देने और फिर बुद्धिमान पुरुष उस के अपराध बमुजिब उसका तप रूप दण्ड दे देवे सो उस तप के | करने से पाप का नाश हो जावे जैसे कि हकीम के आगे रोग की उत्पत्ति बताने से उस के बमुजिब औषधि खाने से रोग जाता रहै इत्यर्थः और जो पूर्वक तिथियों को पोषा व्रत न बन आवे तो पक्षी को ज़रूर करे और जो पक्षी को भी न बन आवे तो चौमासी |
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