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दुर्लभ सन्त समागम भाई ॥ १ ॥ तथा दोहा धन दारा सुत लक्ष्मी, पापी के भी होय । सन्त समागम हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय ॥१ ११ अपनी थाली पुरसवा के साधु आगमन रूप भावना भाव और स्तोक काल भोजन करने में धैर्य करे अपितु भूखे बंगाली की तरह खाने को मूर्च्छित न होय । फिर जो पुण्य योग्य साधु आनिकलें, तो उनकी आतों को देख के उत्साह सहित ७।८ पग सामने जाने की विनय करे और पञ्चाङ्ग नमस्कार करे और ४ चार प्रकार का अहार ( सो ) १ अशन २ पान ३ खादिम ४ स्वादिम अस्यार्थः । १ अशन सो अन्न यानि जो नाज का पदार्थ बना हुआ हो । और २ पान ( सो ) पानी गर्म पानी तथा