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इस विधि से विस्तार सहित यथा सूत्र नौ तत्वों का बोध करो क्योंकि बुद्धि पाने का यही सार हैः-यथा श्लोकः । बुद्धेः फलं तत्व विचारणञ्च, देहस्यसारं व्रतधारणञ्च । अर्थस्यसारं कर पात्र दानं, वाचा फलं प्रीति करं नराणां ॥१॥ अस्यार्थः ॥ जो इस लोक में प्राणी को ४ चार वस्तु विशेष बल्लभ हैं सो १ बुद्धि २ बल ३ धन और ४
उचित बचन परन्तु यह ४ चार वस्तु पुण्य | || योग से प्राप्त होती हैं । सो भो भव्य ! जो
तुम को पूर्वक चार वस्तु प्राप्त हुई हैं तो इन को निष्फल मत करो जैसे कि बुद्धि को चाड़ी चुगली में और बल को वेश्या आदि व्यस्न में और धन को रांड, झगड़े तथा जूआ आदि में और बचन को गाली गलोज