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अथवा आज ब्रह्मचारी रहुंगा इत्यादि। अथवा १८ अठारह प्रकार के पाप के स्वरूप को जान के फिर यथा श्रद्धा १ दिन तथा दो चार आदि दिन को पूर्वक पापों में से कई एक पापों का त्याग करे सो अगरह प्रकार के पापों के नाम ॥ १ प्राणाति पात॥
जीव हिंसा २ मृपावाद ॥ ३ अदत्ता दान ॥ ४ मैथुन॥
चोरी स्त्रीसंग ५परिग्रह ॥ ६क्रोध ॥ ७ मान ॥ ८माया॥
धनसंचय क्रोध मान दगावाजी ९ लोभ ॥ १० राग ॥ ११ ढेप ॥ १२ कलह ॥
लोभ प्रीति वैर लड़ाई १३ वखान ॥ १४ पिशुनता॥१५ परप्रवाद ।। कलंक लगाना चुगलखोरी परनिन्दा