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________________ ( १९८ ) । ११ प्र० गूंगा किस कर्म से होय ? उ० देव धर्म की निन्दा करे तथा निग्रंथ गुरु की निन्दा करे तथा गुरु के मुंह मचकोड़ के छिद्र देखे० १२ प्र. वहरा (वोला) किस कम से होय ? ____ उ० पराया भेद लेने को लुक छिप के वात सुनने तथा निन्दा सुनने का स्वभाव || होय तो० १३ प्र० रोगी किस कर्म से होय ? उ० गूलर ( उदुम्बर) आदि फल खाय तथा चूहे घींस पकड़ने के पिजरे बेचे तो० १४ प्र० बहुत मोटी स्थूल देह पावे किस० उ० शाह होके चोरी करे तथा शाह का धन चुरावे तो० - १५ प्र० कोढ़ी किस कर्म से होय ? उ० बन मे आग लगावे तथा सर्प को मारे तो० १६ प्र० दाह ज्वर किस कर्म से होय ? ___ उ० ऊठ बैल गधे घोड़े के ऊपर ज्यादा वोझ
SR No.010192
Book TitleGyandipika arthat Jaindyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherMaherchand Lakshmandas
Publication Year1907
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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