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से वाणिज्य, कसाई से वाणिज्य तथा जो पुरुष मोटे पाप करके द्रव्य कमावे तिस के साथ लेन देन करके खोटी कमाई के द्रव्य का भोगी होवे सो पुरुष । ३ । तीसरा पंचेन्द्रिय जीव । जो मनुष्य की तरह गर्भ से पैदा हुआ और खाना, पीना, सोना, विषय भोग (स्त्रीसेवन) करना, और सात धातु करके देह धारक, ऐसे पंचेन्द्रिय जीव का जान के घात अर्थात् शिकार करने वाला ।४। चौथा मद्य, मांस, अर्थात् पूर्वक पंचेन्द्रिय जीव की धातु के भक्षणे वाला । सो इन ४ लक्षणों का धर्ता मनुष्य नर्क गति में जाता है । वह नर्क गति यह है यथा पाताल में अर्थात् १००० हज़ार योजन का प्रथम काड पृथ्वी मण्डल का तिस के नीचे बहुत दूर जाकर
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