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नहीं || ४ || चौथा भाड़ी कर्म । सो ऊंट बैल घोड़ा गधा गाड़ी रथ किरांची इन का भाड़ा खावे नहीं || ५ || पांचवा फोड़ी कर्म सो लोहे की खान वा नूंन आदिक की खान खुदावे फुड़ावे नहीं तथा पत्थर की खान फु डावे खुदावे नहीं | ये पांच ५ कुकर्म कहे हैं। अब ५ पांच कुवाणिज्य कहते हैं ||१|| प्रथम दांत कुवाणिज्य । सो हाथी के दांत, उल्ट के नख, गाय का चमर, मृग के सींग, चमडा, जत्त, इत्यादिक का वाणिज्य करे नहीं || २ || दूसरा लाख कुवाणिज्य । सो लाख नील, सजी, शोरा, सुहागा, मनशिल इसादिक का वाणिज्य करे नहीं || ३ || तीसरा रस कुवाणिज्य सो मदिरा. मांस, चरखी, बी. गुड, राला, मधु, (शहद) खांड, इत्यादिक
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