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( २ )
विषय
प्रष्ट
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करने में और भगवान की दृष्टि के सामने . रहने में बहुत हानि लिखी है तिस का
खण्डन ..... .... .... कृष्ण वासुदेव ने एकादशी पर्व की पोसा किया
और अनन्त मिस्सिरा प्रत्येक मिस्सिराका अर्थ और व कुसुनि यहां मूलोत्तर गुण
पड़ि सवी इस का सूत्रानुसार खण्डन मूत्ति पूजने के लाभ के प्रश्नोत्तरों का खण्डन साधु चित्राम की पुतली न देखे इस का उत्तर
जिस में उदय भाव और क्षयोपशम भाव का स्वरूप, २ और मूर्ति के देखने से ज्ञान होवे किं वा न होवे इस का खण्डन
३ दृष्टान्त सहित .... .... सिद्ध से न दिवाकर साधु ने विक्रम राजा को
__ उपदेश किया कि चतुद्वार जैन मन्दिर , बनवाओ और जिन पडिमा जिन सारखी
इस का खण्डन जिस में २५ बोल....
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