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( १३३ )
तने हों उनमें उतने ही चन्द्रविम्ब भासे हैं सो ऐसे ही एक चिदानन्द सर्व अंगों में भासमान है। उत्तर यह भी तुम्हारा कहना पूर्वक शून्य है क्योंकि चन्द्र के विम्बसर्व घटों में भास होते हैं, परन्तु सम ही भासमान होते हैं, जैसे किद्वितीया का होय तोद्वितीयाकाऔर पूर्णिमा काहोय तोपूर्णिमा का परन्तु यह नहीं होता कि किसी घट में तो दितीया के चन्द्र का बिम्ब
और किसी में पूर्णिमा के चन्द्र का विम्ब हो । सो तुम्हारे कहने वमृजिव तो सर्व शरीरों में एकही चैतन्य भासमान है तो फिर | सर्व शरीरों की एक ही अवस्था अर्थात् एक
ही सरीखा बल वर्णमति स्वभाव ओर सुख दुःख होना चाहिये सो एक सम है नहीं तो तुम्हारा दृष्टांत आलमाल हुआ ॥६॥ और
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