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श्राविका के गुणों की महिमा लिखे जैसेकि अमुक साधु वा साध्वी जी ने तथा अमुक श्रावक वा श्राविका ने अमुक त्याग करा है। रस आदिक का । तथा अमुक तप किया है इन्द्रिय दमन आदिक तथा ताप शीत सहन आदिक तथा अनशन आदिक इत्यादि तथा अमुक श्रावक ने छती सक्त छती योगवाई ब्रह्मचर्य आदि चार खन्ध माहला खन्ध अङ्गीकार किया है यथा ? रात्रीभोजन का त्याग (रात का चौविहार)२ मैथुन का साग ३ हरी लीलोती का त्याग ४ सचित्त वस्तु 'का साग इत्यादि देशान्तरों के विपे महिमा विस्तारे क्योंकि ऐसे कथन को सुन के हर एक मजहब वाले लोग तथा अनजान लोक भी आश्चर्य को प्राप्त होंगे कि देखो जैनी
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