________________
( १२० )
पाठ दिखाओ कि किसी सनातन सूत्र में लिखा. हो कि किसी सेवक ने वीतराग भगवान जी की फल फूलों से पूजा करी हो यदि तुम देवों की भुलावन दोगे तो हम नहीं मानेंगे क्योंकि देवों का जीत व्यवहार कुछ और ही है तदपि देवताओं के कथन में भी अरिहन्त हुए पीछे सुचित्त फूलों का पाठ नहीं है यथा राजप्रश्नी सूत्र “पुष्प वदलंवियोवइत्ता” तथा मानतुंग कृतभक्तामर श्लोक ऊनेंद्र हेम नव पंकज पुंजकान्ति इत्यादि इति ।
सो साधु के लेने जाने में तो पटकाय की हिंसा रूप आरम्भ पूजा प्रतिष्ठा कहां से सहीह हो जावेगा फिर पूर्वक कथनम और जो श्रावक ने दिशावर को चिट्ठी लिखनी हो तो तिस में साधु साध्वी अथवा श्रावक