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तथा सराग वेश्या आदिक का पड़ोस न होय और ऐसा निषिद्ध टूटा फूटा मकान भी न होय जो चढ़ते उतरते गिर पड़े तथा मट्टी गिर २ पड़े तथा जीव जंतु आदि घणे होंय तथा दुःखदाई होय अप्रतीत कारी होय इत्यर्थः ॥ और चौथे ४ शिष्य शाखा निर्दोष सो लड़का लड़की, कुजात न होय तथा माता पिता की जात अधूरी न होय तथा अंधा बहरा लुंजा न होय तथा उमर का बहुत छोटा न होय तथा बहुत शिथिल बूढ़ा न होय ( यथा ठोणागे व्यवहारे ) तथा मोल का न होय तथा चोरी का वा विना आज्ञा का न होय तो फिर जातिमान् कुलवान् वैराग्यवान् माता पिता आदिक की आज्ञा सहित हो तो उसे चेला