________________
उत्तराध्ययन १९ वें गाथा ८९ मी निमम्मो | निरहंकारो, निसंगो चत्त गारवो, समोय सम्ब भूएसु, तस्सेसु थावरे सुअ॥ १॥ __ लाभा लाभे सुहे दुःखे, जीवीए मरणे तहा, समोनिन्दापसंसासु तहामाणाव माणयो ॥२॥
अस्यार्थः सुगमः तथा ५सुमात ३ गुप्ति के धर्ता अर्थात् (१) प्रथम ईर्षा सुमति (सो) साढ़े तीन हाथ प्रमाण क्षेत्र आगे को देखता हुआ चले ।। | और (२) दूसरी भाषा सुमति (सो) भाषा विचार के बोले और किसी को दुःखदाई मर्मकारी और झूठी भाषा न बोले ॥ __ और (३) तीसरी एपणा सुमति ( सो) साधु ४ प्रकार का पदार्थ निदोप आज्ञा सहित लेवे जैसेकि १ प्रथम तो आहार पानी