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क्योंकि विकार का कारण है यथा मयूर को गाजके सुनने से उन्माद का कारण है।
(६) छठी वाड़ ब्रह्मचर्य की शीलवान पुरुष पूर्व (पहले) किये हुए कामादि भोगों को याद में लावै नहीं क्योंकि विकार का कारण है यथा सर्प काटे के जहर को याद करने से लहर चढ़ने का कारण है ॥
(७) सातवीं वाड़ ब्रह्मचर्य की शीलवान पुरुष काम वृद्धि कारक औषधियें आदिक पुष्ट आहार करे नहीं क्योंकि विकार का कारण है यथा अमि में घृत सींचने से अनि तेज होने का कारण है ॥
(८)आठवीं वाड़ ब्रह्मचर्य की शीलवान पुरुष मर्यादा से अधिक दाव २ के आहार करे नहीं क्योंकि पूर्वोक्त इन्द्रिय विकार वृद्धि का
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