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करै नहीं पुरुष भी होवै तो व्याख्यान करे अथवा स्त्री के रूप यौवन श्रृंगार आदिक की कथा (तारीफ) करै नहीं पूर्वक विकार जागने काकारण है यथानीबूकी खटाई का व्याख्यान मुंह में याने दांढाओं में पानी आजाने का कारण है ऐसे ही स्त्री केवल पुरुषों की मंडली में व्याख्यान करै नहीं स्त्रीयें भीहो तो व्याख्यान करैतथा पुरुष के रूप यौवन श्रृंगारादि का व्याख्यान करे नहीं यदि वैराग्य के हेतु शरीर की अपावनता अनित्यता दर्शाने के लिए व्याख्यान करे तो दोष नहीं। । (३) तीसरी वाइब्रह्मचर्य की शीलवान पुरुष स्त्री सहित एक आसन पैइकट्ठे बैठे नहीं क्यों कि विकार का कारण है यथा अमि के निकट | घृत का रखना पिंघल जाने का कारण है ।।