________________
( ९३ )
और एक बड़ा आश्चर्य यह है कि सिद्धों को जैन में अरूपी कहा है सो उनके रक्त वर्ण (लाल रंग) की मूर्ति बना कर सिद्ध चक्र के नाम से पूजते हैं ।
और इनका धर्म भी जैन से अमिलित (पृथक) है क्योंकि जैन में दया धर्म प्रधान है और यह पूर्वक हिंसा में धर्म कहते हैं ।।
और जैन में मुख मंद के बोलना और निवद्य बोलना कहा है और ये मुख खोल कर बोलना प्रधान रखते हैं क्योंकि इन्होंने फ़कीरी लेते समय तो मुख बांधा था फिर लोको के वचन कुवचन के न सहने से खोल डाला अब औरों से मुख खुला कर बड़ी खुशी गुजारते हैं परन्तु ऐसे नहीं समझते हैं कि मुख तो मालदार भांडे का मूंदा जाता है और फो
-
-
-