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ज्ञान और कर्म ।
ज्ञान और
[प्रथम भाग
या पीटकर बड़ा करना, गर्म चीजको ठंढा और ठंडी चीजको गर्म करना, कड़ी चीजको गलाकर पतला करना, इत्यादि हैं।
जड़पदार्थकी जिन सब क्रियाओंके द्वारा उनकी भीतरी प्रकृतिका परिवर्तन होता है उन्हें रासायनिक क्रिया (१) कहते हैं। इसके दृष्टान्त-ताँबे और महाद्रावकके मेलसे तूतियेकी उत्पत्ति, गन्धक और पारेके मेलसे सिंगरफकी उत्पत्ति, इत्यादि हैं।
सजीव उद्भिद् वृक्ष आदि अथवा चेतन पदार्थके जो सब कार्य होते हैं उन्हें जैविक (२) क्रिया कहते हैं। इसके दृष्टान्त-मृत्तिका और वायुसे पदार्थ लेकर उद्भिद्की पुष्टि, खाद्य पदार्थसे सजीव देहमें रक्तमांसकी उत्पत्ति, इत्यादि हैं। ___ उक्त क्रियाओं में और भी अवान्तर विभाग हैं। जैसे-भौतिक क्रियाओंमें कुछ उत्ताप-जनित हैं, कुछ वैद्युतिक हैं, इत्यादि। जैविक क्रियाओंमें कुछ अज्ञानजैविक हैं, कुछ सज्ञान-जैविक हैं । सज्ञान-जैविकोंमें कुछ मानसिक हैं, कुछ नैतिक हैं, इत्यादि। __ इस तरह बहिर्जगत्की सब वस्तुएँ या विषय अनेक ढंगोंसे श्रेणीबद्ध किये जा सकते हैं। उनमेंसे जो ढंग या प्रणाली जिस आलोचनाके लिए सुविधाजनक हो उस जगह उसीका सहारा लेना चाहिए। (१) बहिर्जगत्के विषयोंके सम्बन्धमे दो एक विशेष बातें।
बहिर्जगत्की सब जड़ वस्तुओंकी आलोचना करते समय निम्नलिखित दो प्रश्न उपस्थित किये जा सकते हैं___ प्रथम-बहिर्जगत्की सब जड़ वस्तुएँ मूलमें एक तरहकी हैं, या अनेक तरहके पदार्थोंसे गठित हैं ? और अगर एक तरहके पदार्थसे गठित हैं तो वह एक पदार्थ क्या है?
द्वितीय-बहिर्जगत्की जड़ वस्तुओंकी क्रियाएँ मूलमें अनेक तरहकी हैं, या एक तरहकी हैं ? और अगर एक प्रकारकी हैं तो वह प्रकार क्या है ? .
पहले ऐसा जान पड़ेगा कि पहले जगत्के उपादान कारणके सम्बन्धमें जो कहा गया है, ऊपर प्रथम प्रश्नमें, वही बात उठाई जा रही है।
(१) अँगरेजी " Chemical " शब्दका प्रतिशब्द । (२) अँगरेजी " Biological " शब्दका प्रतिशब्द।