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तीसरा अध्याय ]
अन्तर्जगत् ।
वह मित्र यह नहीं जानते थे कि पूर्व ओरकी पड़ी हुई जमीन एक पटी हुई गढ़इया है, और उस पर घर बनाने में बड़ी लागत पड़ती। अगर वह मित्र इस बातको जानते होते तो घरको पूर्व-पश्चिम लंबा करके बनाना कभी संभवपर नहीं समझते।
विशेष तत्त्वसे साधारण तत्त्वका अनुमान, और साधारण तत्त्वसे विशेष तत्त्वका अनुमान, इन दोनों तरहके अनुमानोंकी प्रक्रिया एक ही मूल नियमके अधीन है। वह नियम यह है
अगर किसी जातिके द्रव्यमात्रका ही, कोई गुण हो, अथवा किसी जातिके प्रत्येक विषयके सम्बन्ध में कोई बात कही जासकती हो,
और यदि कोई विशेष द्रव्य या विषय उस जातिके अन्तर्गत हो, तो यह बात कही जा सकती है कि उस विशेप द्रव्यमें वह गुण है। अथवा उस विशेष विषयके सम्बन्धमें वही बात कही जा सकती है। विशेष तत्त्वसे साधारण तत्त्वके अनुमानका दृष्टान्त यह है कि
जहाँ धुआँ देखा गया है वहाँ आग थी। अतएव जहाँ धुआँ देखा जायगा वहाँ आग रहेगी। ___ यहाँ पर प्रकृतिका यह साधारण तत्त्व मान लिया गया है कि जहाँ पर जैसा देखा गया है उसके समान स्थल पर प्रकृतिके नियमानुसार वैसा ही देखा जायगा। इस अनुमानकी प्रक्रिया संपूर्ण रूपसे व्यक्त करनेके लिए कहना होगा कि
एक स्थल पर जैसा देखा गया है, प्रकृतिके नियमानुसार, उसके तुल्य सभी स्थलोंमें, वैसा ही देखा जायगा।
धुएँके रहने पर आगका रहना-एक स्थल पर देखा गया है।
अतएव धुआँ रहने पर आगका रहना, वैसे ही सब स्थलोंमें प्रकृतिके नियमानुसार देखा जायगा।
साधारण तत्त्वसे विशेष तत्त्वके अनुमानका दृष्टान्तजिस जगह पर धुआँ रहता है उस जगह ही आग रहती है। इस पहाड़पर धुआँ है, अतएव इस पहाड़ पर आग है।
ज्ञान०-४