________________
तीसरा अध्याय ]
अन्तर्जगत् ।
सभी वस्तुएँ जलमें डूब जाती है" इस साधारण तत्त्वसे “ पीतल जलमें डूब जायगा" इस विशेष तत्त्वके निरूपणका दृष्टान्त है। (५) दो सीधी रेखाएँ भूमिको घेर नहीं सकतीं। सामने दो सीधी रेखाएँ हैं; ये किसी भूमिको घेर नहीं सकतीं। यह भी एक वैसा ही दृष्टान्त है।
बुद्धिके इस दो तरहके अनुमानकार्यको, अर्थात् विशेष तत्त्वसे साधारण तत्त्वके अनुमान और साधारण तत्त्वसे विशेष तत्त्वके अनुमानको, संक्षेपसे सामान्य-अनुमान और विशेष-अनुमानके नामसे अभिहित कर सकते हैं। इन दोनों प्रकारके अनुमानोंके संबंधमें कई एक बातें कहनेकी हैं। उनका वर्णन आगे किया जाता है।
१-ऊपर कहे गये प्रथम तीनों दृष्टान्तोंमें विशेष तत्त्वसे जो साधारण तत्त्वका निरुपण किया गया, उसकी भित्ति क्या है, यह अनुसन्धान करने पर देख पड़ेगा कि हर एक जगह यह साधारण तत्त्व मान लिया गया है कि प्रकृतिका कार्य समभावसे चलता है, अर्थात् वह एकसे स्थानमें एक-सा ही होता है । यह बात स्वीकार कर लेने पर ही कहा जा सकता है कि पहले जब शिला जलमें डूब चुकी है तब बादको भी उसी तरह जलमें शिला डूब जायगी। इस भावसे देखा जाय तो उल्लिखित चौथे दृष्टान्त और पहले कहे गये तीनों दृष्टान्तोंमें कुछ भेद नहीं दिखाई पड़ता । दोनों जगह साधारण तत्त्वसे अथवा साधारण तत्त्वकी सहायतासे विशेष तत्त्वका अनुमान हुआ है। __२-विशेष तत्त्वोंके बीच कोई बन्धन या कार्यसाधक सम्बन्ध रहे बिना, उनसे किसी साधारण तत्त्वका अनुमान सिद्ध नहीं हो सकता। जैसे शिला जलमें डूबती है और शिला कृष्णवर्ण है, लोहा जलमें डूबता है और वह भी कृष्णवर्ण है, मिट्टीका पिण्ड जलमें डूबता है और वह भी कृष्णवर्ण है, इन विशेष तत्त्वोंसे यदि इस साधारण तत्त्वका अनुमान किया जाय कि कृष्णवर्णवाली सभी चीजें जलमें डूब जायँगी, तो यह अनुमान स्पष्ट असिद्ध है। क्योंकि रंगका काला होना डूबने-उतरानेका किसी तरह कार्यसाधक लक्षण नहीं है। और एक दृष्टान्त देंगे। १ और २ मिलनेसे ३ होते हैं। १ के सिवा ३ का और भाजक नहीं है । २ और ३ मिलकर ५ होते हैं। ५ का भी के सिवा और भाजक नहीं है। ३ और ४ मिलकर ७ होते हैं। ७ का भी १ के सिवा और भाजक नहीं है। इन तीन विशेष तत्त्वोंसे अगर हम ऐसे