________________
ইই
प्रस्तावना |
ग्रन्थ- परिचय |
आज हम अपने पाठकोंके समक्ष एक अपूर्व और महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ उपस्थित कर रहे हैं ! हमारी समझमें हिन्दीमें अभीतक इस ढंगका और इतनी उच्चfter और कोई भी ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हुआ है । हमारे जिन पाठकोंका यह खयाल है कि अनुवादित ग्रन्थोंसे हिन्दीका गौरब बढ़ता नहीं है, वे भी इस ग्रन्थको पढ़कर यह कहे बिना न रहेंगे कि हिन्दी-भाषा-भाषियोंके लिए गंभीर ज्ञानलाभका यह एक बहुत उत्तम साधन तैयार हो गया है ।
इस समय भारतमें पूर्वीय और पाश्चात्य विचारोंका अभूतपूर्व संघर्ष हो रहा है । देशके शिक्षितोंका एक दल जहाँ पूर्वीय विचारोंका अनन्य भक्त है वहाँ दूसरा दल केवल पाश्चात्य विचारोंके प्रवाह में आँख बन्द करके बहा जा रहा है । पहला दल दूसरे को और दूसरा पहलेको विचारशून्य कहकर अपने आपको सत्पथगामी समझता है; परन्तु आश्चर्य यह है कि न पहला दूसरे के विचारोंको अच्छी तरह समझता है और न दूसरा पहले के विचारोंको । समझने के साधन भी बहुत ही कम हैं । देशमें अभीतक ऐसे विद्वान् हुए भी अँगुलियों पर गिनने लायक ही हैं जिन्होंने दोनों प्रकारके विचारोंका पारगामी ज्ञान प्राप्त किया है