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परिचय खण्ड २
प्रकरण : २ १७वीं शती के जैन गूर्जर कवि और उनकी कृतियों का परियच ७५–१२७
नयनसुन्दर, शुभचन्द्र, भट्टारक, ब्रह्मजयसागर, रत्नकीर्ति भट्टारक, सुमति सागर, चन्द्रकीति, विनयसमुद्र, आनन्दवर्धनसूरि, मालदेव, ब्रह्मरायमल, कनकसोम, कुशललाभ, साघुकीर्ति, सुमतिकीर्ति, वीरचन्द्र, जयवन्तसूरि, भट्टारक, सकलभूषण, उदराज, कल्याणसागरसूरि, अभयचन्द्र, समयसुन्दर, कल्याणदेव, कुमुदचन्द्र, जिनराजसूरि, वादिचन्द, भट्टारक महीचन्द्र संयमसागर, ब्रह्मअजित, ब्रह्मगणेश, महानन्दगणि, मेघराज; लालविजय, दयाशील, हीरानन्द (हीरो संघवी), दयासागर, हेमविजय, लालचन्द, भद्रसेन, गुणसागरसूरि, श्रीसार, वालचन्द्र, ज्ञानानन्द, हंसराज, ऋषभदास, कनककीर्ति ।
प्रकरण : ३ १८वीं शती के जैन गूर्जर कवि और उनकी कृतियों का परिचय १२६-१६८
आनन्दघन, यशोविजयजी, ज्ञानविमलसूरि, धर्मवर्द्धन, आनन्दवर्द्धन, केशरकुशल, हेमसागर, वृद्धिविजयजी, जिनहर्ष देवविजय, भट्टारक शुभचन्द-२, देवेन्द्रकीर्तिशिष्य, लक्ष्मीवल्लभ, श्री न्यायसागरजी, अभयकुशल, मानमुनि, केशवदास, विनयविजय, श्रीमद्देवचन्द्र, उदयरत्न, सौभाग्यविजयजी, अपमसागर, विनयचन्द्र, हंसरत्न, भट्टारक रत्नचन्द्र-२, विद्यासागर, खेमचन्द्र, लावण्यविजयगणि, जिनउदय सूरि, किशनदास, हेमकवि, कुशल, कनककुशल भट्टारक, कुंवरकुशल, गुणविलास, निहालचन्द।।