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मालोचना-रंट
(११) इन कवियों के काव्यगत भाव आध्यात्मियः नेतना से युक्त हैं। भक्तिकालीन साहित्य धारा में जहां अव्यात्म तत्व का प्राधान्य रहा वहां रीतिकालीन काव्यधारा में सांसारिक विषयों की प्रधानता रही। आलोच्य कवि लौकिक एवं आध्यात्मिक विचारधारा के बीच सेतु निर्माण का कार्य करते प्रेतीत होते हैं।
(१२) यद्यपि इन कवियों के मूल प्रेरणा तत्व धर्म और आध्यात्मिकता रहे है तथापि इनकी रचनाएं न तो धार्मिक संकीर्णता से ग्रस्त हैं और न नीरस हो । इनमें काव्य रस का समुचित परिपाक है। इनके विषय मात्र धार्मिक ही नहीं, सोकोपकारक भी हैं । काव्यरस और अव्यात्मरस का जैसा समन्वय इन कवियों ने किया है वैसा भक्ति-काल के मूर्धन्य कवियों को छोड़ अन्यत्र नहीं मिलता।