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गण्डव्यूहसूत्रम् ।
इस तालिका से यह दिखाई देगा कि एक कल्याणमित्र बुद्ध या बोधिसत्र के अनन्त गुणों में से केवल एक गुणविशेष ही अपने पास रखता है । तोभी समन् भद्र की प्रदर्शित भद्रचरी या भद्रचर्या (पृ. ४२८ - ४३६ ) में इस आचारमार्ग का सार दिखाई देता है ।
पुणें - २ ७-९-६०
प. ल. वैद्य