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दिगम्बर जैन साधु
मुनिश्री पार्श्वसागरजी महाराज द्वारा
दीक्षित शिष्य
मुनि श्री उदयसागरजी मुनि श्री बाहुवलीसागरजी मुनि श्री अमृतसागरजी
मुनि श्री वासुपूज्यसागरजी KHANAMMANAYANAMAHAMMAMMNAMAM
मुनि श्री उदयसागरजी महाराज मुनि श्री १०८ उदयसागरजी महाराज का जन्म सन् १९६३ में उदयपुर जिले के धरियावद ग्राम में हुआ था । आपका जन्म नाम श्री झमकलालजी सरिया था तथा जाति हुमड़ है । पिताश्री का नाम श्रीरतनचन्द्रजी एवं मातुश्री का सरदारीबाई था । आपके पाँच भाई हैं । धर्म शिक्षा सामान्य है, एवं लौकिक जीवन व्यावसायिक रहा है।
क्षुल्लक दीक्षा श्रावण बदी २ को धरियावद में ग्रहण की तथा आ० पार्श्वसागरजी से परसाद में माह सुदी ६ को मुनि दीक्षा धारण की और आपका नामकरण उदयसागरजी हुआ। आपकी समाधि चावण्ड ( उदयपुर ) में चैत बदी ५ को सायंकाल ६.५५ बजे हुई।
मुनि श्री बाहुबलीसागरजी महाराज आपका जन्म संवत् १९७१ पोष सुदी १२ के दिन बुधवार को हुआ । दीक्षा पूर्व का नाम श्री दूलीचन्दजी था तथा जाति चित्तौड़ा थी । आपके पिता का नाम नेमचन्दजी एवं मातुश्री का नाम गुलाबबाई था। धर्म शिक्षा सामान्य थी । दूसरी प्रतिमा आदिसागरजी ( कुरावड़ वाले ) से धारण की । सातवीं प्रतिमा आ० श्री धर्मसागरजी महाराज से दिल्ली में धारण की। आपने क्षु० दीक्षा देपुरा में सन् १९७७ में बैसाख सुदी २ को धारण की तथा आनन्दसागरजी नामकरण हुआ तथा मुनि दीक्षा सिद्धवर-कूट में धारण की, दीक्षा नाम बाहुबलीसागरजी रक्खा गया। यहीं आपकी समाधि हुई।