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दिगम्बर जैन साधु
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मुनि श्री विनयसागरजी महाराज
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आपका जन्म मिती आसोज बदी ६ सम्वत् १९७६ को ब्यावर जिला ( अजमेर ) राजस्थान में हुआ। आपका गृहस्थ का नाम श्री हुकुमचन्दजी पाण्डया है। आपके पिताजी का नाम श्री सुखदेवजी व माता का नाम किशनीबाई था। आपने १९४७ में फर्स्ट इयर पास की उसके बाद पिताजी का स्वर्गवास हो जाने के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी। आपकी शादी श्री हीरालालजी पाटनी किशनगढ़ वालों की लड़की शांतादेवी के साथ हुई। आपको
माताजी का देहान्त आपके जन्म के ६ माह बाद ही हो गया था । आपमें धीरे-धीरे वैराग्य की भावना उत्पन्न होने लगी। आपके १ पुत्र हुआ। सम्वत् २०३१ में आचार्य श्री सुमतिसागरजी के साथ गिरनारजी को गये और रास्ते में ऐलक दीक्षा ली। सम्वत् २०३१ में आपको ऐपेनडिस की बीमारी हुई जिसको आपने धैर्य के साथ सहन किया किन्तु उसका आपरेशन होने के कारण आपको दुबारा क्षुल्लक दीक्षा लेनी पड़ी। इसके बाद गुजरात में ऐलक दीक्षा ली व ऋषभसागर नाम रखा गया। उसके बाद सम्वत् २०३३ तारीख ३०-८-७६ को श्री सोनागिरजी में मुनि दीक्षा ली व आपका नाम श्री विनय सागर रखा गया ।
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