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दिगम्बर जैन साधु
क्षुल्लिका विशुद्धमती माताजी
कमलाबाई का जन्म राजस्थान में हुवा था । श्रापके पिता का नाम गुलाबचन्द्रजी था । आपकी शिक्षा चौथी कक्षा तक ही हुई थी । आपको हिन्दी एवं मराठी का ज्ञान था । श्रात्म हित हेतु आपने आचार्य विमलसागरजी से दूसरी प्रतिमा के व्रत सं० २०१५ में धारण किए। सं० २०१९ बड़ौदा में आचार्य विमलसागरजी से क्षुल्लिका दीक्षा ली। आपका जीवन धर्म में ही व्यतीत हो रहा है ।
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क्षुल्लिका कीर्तिमती माताजी
आपका जन्म कुसुम्बा जिला धूलिया ( महाराष्ट्र ) में हुआ। पिता का नाम श्री हीरालाल ब्रजलाल शहा तथा माता का नाम कमकोर बाई है । १५ वर्ष की श्रायु में ग्राम सिरसाले जिला जलगांव के श्री गोकुलदास दोघुसा शहा के सुपुत्र श्री खरदुमन दास शहा के साथ आपका पाणिग्रहण हुआ । आपके दो बच्चे हैं । बचपन से ही वैराग्यमयी परिणाम होने से २४ वर्ष की आयु में आपने आ० देशभूषणजी से सप्तम प्रतिमा के व्रत ग्रहरण कर लिये । दो वर्ष तक संघ में भी रहीं । श्राचार्य श्री देशभूषणजी ने आपको आर्थिका ज्ञानमती माताजी के पास पढ़ने की प्रेरणा दी थी । लेकिन फलटण अधिवेशन में आपकी भेंट क्षु० चारित्रसागरजी से हुई इनके साथ आपने शिखरजी ग्राकर ० श्री विमलसागरजी से फाल्गुन शु० ५ स० २०३३ को क्षुल्लिका दीक्षा ग्रहण कर ली । आप शान्त स्वभावी सतत अध्ययन शीला हैं ।
क्षुल्लिका श्रीमति माताजी
आप पिता श्री नेमीचन्दजी माता श्री सोनाबाई की पुत्री हैं । आपका जन्म सकड़ी (कोल्हापुर ) में हुआ । गृहस्थावस्था का नाम मालती बाई था । आपका विवाह छोरी शिरहदी (वेलगांव) निवासी श्री पारिसा आदिनाथ उपाध्याय से हुआ । दुर्भाग्य से १० वर्ष बाद ही आपको वैधव्य का दुःख उठाना पड़ा । आपको एक पुत्री हुई थी उसका भी स्वर्गवास हो गया । श्रापने आचार्य श्री विमलसागरजी के संघ में ३-४ वर्ष रहकर धर्मध्यान किया । वाद में चैत्र सुदी ४ शनिवार १८ - ३-७२ को राजगृहीजी क्षेत्र पर क्षुल्लिका दीक्षा ली । श्राप काफी शान्त, भद्र परिणामी अध्ययनशीला एवं जिज्ञासु
क्षुल्लिका हैं ।
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