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दिगम्बर जैन साधु मापिका आदिमती माताजी
आपका जन्म कामा ( भरतपुर ) निवासी अग्रवाल जाति के श्री सुन्दरलालजी एवं माता श्री मोनीबाई के घर में हुआ। आपका गृहस्थावस्था का नाम मैनाबाई था। आपका विवाह कोसी निवासी श्री कपूरचन्दजो से हुआ। १ वर्ष बाद ही वैधव्य ने आ घेरा। जगत को असार जान सं० २०१७ में कम्पिलाजी में क्षुल्लिका दीक्षा ली । तदुपरान्त सं० २०२१ में मुक्तागिरी पर आचार्य श्री विमलसागरजी से आर्यिका व्रत लिये । आप संघ की परम तपस्वी आर्यिका हैं ।
प्रापिका जिनमती माताजी
आपका जन्म पाडवा ( सागवाडा) निवासी नरसिंहपुरा जाति के श्री चन्द्रदुलाजी के घर सं० १९७३ में हुआ। आपकी माताजी का नाम दुरोंबाई एवं आपका नाम मंकुबाई था। आपके दो भाई, दो बहिनें हैं । आपका विवाह पारसोला में हुआ। ६ माह बाद ही वैधव्य का भार आ गया अतः वैराग्य धारण कर प्रा० महावीरकीतिजी म. से पहली प्रतिमा, वर्धमानसागरजी से ७ वीं प्रतिमा एवं क्षुल्लिका दीक्षा सं० २०२४ में एवं आर्यिका पद सम्मेदशिखरजी में प्रा० विमलसागरजी से वीर सं० २४६६ में कार्तिक सुदी २ को लिया । आप संघ में तपस्विनी आयिका हैं।
आपिका नन्दामतीजी आपका जन्म प्रहारन (आगरा ) निवासी पद्मावती पोरवाल जाति की श्रीमती कपूरीदेवी एवं पिता श्री मुन्नीलालजी के घर भादों सु० ११ सन् १९२६ में हुआ। गृहस्थावस्था में प्रापका नाम जयमाला देवी था । आपका विवाह आगरा निवासी श्री सुगंधीलाल खाडा से हुआ। कर्मोदय से २॥ वर्ष बाद ही वैधव्य आ गया। आप घर में अध्यापिका का कार्य करती थी। आचार्य श्री की प्रेरणा से आपने आगरा में ज्येष्ठ सु० ६ सन् १९६६ में दूसरी प्रतिमा तथा सन् १९६६ भाद्र सु० ११ को फिरोजाबाद के मेले पर क्षुल्लिका दीक्षा एवं श्री सम्मेदशिखरजी में कार्तिक सु०:२ मंगलवार वीर नि० सं० २४६६ में आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज से आर्यिका दीक्षा ग्रहण की। आप संघ की विदुषी एवं शान्त परिणामी प्रायिका हैं ।