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दिगम्बर जैन साधु
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नहीं है । आपने लौकिक शिक्षा प्राइमरी तक ही प्राप्त की है । आपने श्री बड़वानीजी में सं० २००७ के जेठ माह में आचार्य श्री १०८ महावीरकीर्तिजी महाराज से सातवीं प्रतिमा के व्रत लिये और पुनः सं० के श्रावण मास में क्षुल्लक दीक्षा भी आचार्य महावीरकीर्तिजी महाराज से ही धारण की है । विगत वर्ष से श्राप अपने दीक्षा गुरू श्राचार्य श्री विमलसागरजी महाराज के संघ में सम्मिलित हो धर्मध्यान कर रहे हैं ।
२००८
चातुर्मास सविसकाल में
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क्षुल्लक श्री समतासागरजी
जन्म
पूर्व नाम
शिक्षा
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२-११-१६१६
धारणा गाँव में
शाह अमृतलाल केशवलाल मु० उजेडिया प्रांतीज ।
प्रथम वर्षा ।
चार अनुयोगों का सामान्य अभ्यास
रेल्वे स्टेशन मास्टर ( वेस्टर्न रेल्वे में सर्विस)
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वृत्ति
सेवानिवृत्ति -
२४-६-७५ स्वेच्छा से
सप्तम प्रतिमा ग्रहरण - १३-७-७५ श्री १०८ ज्ञानभूषरण मुनिराज से )
क्षुल्लक दीक्षा - पोदनपुर, बोरीवली में श्री १०८ आचार्य दीक्षा गुरु श्री विमलसागरजी से तारीख ९-२-७१ के दिन | वम्बई, अहमदाबाद, घाटोल, उदयपुर और हिम्मतनगर (गुजरात) ।
प्रमाणिक जीवन, साधुसंगम, वैयावृत्य, पठन-पाठन
प्रभावना के कार्यों में दिलचस्पी निरहंकारी, सादाई और परोपकार भावनाओं में रत थे ।