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दिगम्बर जैन साधु
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मुनिश्री सुपार्श्वसागरजी महाराज (दक्षिण)
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आपने महाराष्ट्र प्रान्त के औरंगाबाद जिले में महत ग्राम में भीकमचन्द पिता एवं गऊबाई माता की कुक्षि से चैत सुदी पंचमी को लुहाड़े गोत्र में जन्म लिया था । आपका पूर्व नाम श्री रतनलालजी था। आपने आचार्य शांतिसागर जो से १९६० में क्षुल्लक दीक्षा ली। मुन्नूर ग्राम में सं० २००३ में सुमतिसागरजी महाराज से फाल्गुन सुदी तीज को मुनि दीक्षा स्वीकार की। भारत भर में विहार किया तथा अनेकों जगह धर्म प्रभावना को, अन्त में उदयपुर में आपने समाधि धारण की । आचार्य शिवसागरजी के सान्निध्य में विधि पूर्वक समाधिमरण किया ।
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मुनिश्री सीमन्धरसागरजी महाराज
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आपका जन्म हालगे ( वेलगांव ) कर्णाटक में हुवा था। आपके पिता खेती एवं साहुकारी का कार्य करते थे । पूर्व नाम जिनप्पा चतुर्थ था। आपके पिता का नाम श्री मालप्पा तथा माता का नाम पद्मावती था। आपको लौकिक शिक्षा मिडिल प्रवेशिका तक ही रही । आप १५ वर्ष की उम्र में ब्रह्मचारी बन गये। आपने ९-११-५३ को मुनि मल्लिसागरजी से बेलगांव में क्षुल्लक दीक्षा ली। ऐलक दीक्षा १-७-५८ को मुनि सुपार्श्वसागरजी से औरंगाबाद में ली तथा मुनि दीक्षा भी श्री सुपार्श्वसागरजी से सिद्धक्षेत्र कुन्थलगिरी में २६-१२-५८ को ली । आपने अपने जीवन काल में
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