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________________ दिगम्बर जैन साधु [ २७५ मुनि समाधिसागरजी (द्वितीय) श्री कस्तूरमलजी का जन्म राजस्थान के प्रसिद्ध नगर डूगरपुर में हुवा था। आपने लौकिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपना जीवन व्यापारिक कार्य में लगाया तथा सन् १९७७ में मुनि दयासागरजी से मुनि दीक्षा ली । तथा डूगरपुर में ही समाधि लेकर आत्म कल्याण किया। मुनि समाधिसागरजी (तृतीय) श्राप कर्नाटक श्रवण बेलगोला के वासी थे, आपका नाम श्री महादेव था। जैन मठ में आप भट्टारकजी की सेवा आदि किया करते थे । ८० वर्ष की उम्र में आपने मुनि दीक्षा श्री दयासागरजी से लेकर समाधिमरण श्रवणबेलगोला में किया । मुनि निजानंदसागरजी महाराज जन्म :- ४-९-१९५३, शुक्रवार | स्थान :- हुबली ( कर्नाटक में दूसरा बड़ा शहर ) पूर्वनाम :-- अनंतराज पार्श्वनाथ राजमाने पिता:- पार्श्वनाथ भीमराव राजमाने (दंतमंजन व्यापारी) माता :- श्रीमती कमलाबाई राजमाने भाई :- १. बड़ा निर्मलकुमार-बी ई.सिविल इंजिनीयर २. बाहुबली-व्यापारी ३. सनत्कुमार-बी.ई. सिविल इंजिनीयर ४. श्रेणिकराज-डिप्लोमा सिविल विद्यार्थी पिताजी के दो बड़े भाई, चार बहिनें ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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