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दिगम्बर जैन साधु
मुनिश्री भूपेन्द्रसागरजी महाराज
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मुनि श्री का जन्म उदयपुर जिले के राठोड़ा ग्राम में मिती पोष शुक्ला १० सं० १९७० को श्री जयचंदजी जैन की धर्मपत्नी श्रीमती कस्तूरीबाई की कोख से हुआ था । जन्म से ही आपमें धार्मिक संस्कार कूट कूट कर भरे हुये थे । आपके पारिवारिक जनों में ही वैराग्य की भावना घर किये हुये थी । गृहस्थावस्था में आपको श्री कपूरचन्दजी बागावत नरसिंहपुरा के नाम से जाना जाता था । वैराग्य के प्रति अनुराग होने के कारण आपने सं० २०२४ में कार्तिक शुक्ला १९ को उदयपुर में प० पू० आचार्य १०८ श्री धर्मसागरजी महाराज सा० से क्षुल्लक दीक्षा धारण कर ली । श्रापको केवल क्षुल्लक दीक्षा से ही संतुष्टि नहीं हुई । दो वर्ष के बाद ही आपने पूर्व जयपुर में आचार्य श्री से मुनि दीक्षा धारण कर ली। संघ के साथ ही आप बिहार करते हुए मदनगंज चातुर्मास हेतु पधारे जहाँ प्राचार्य श्री के सान्निध्य में ही आपने इस नश्वर शरीर को सदा सदा के लिये त्याग दिया ।
दीक्षा तिथि के दिन ही