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दिगम्बर जन साधु
आर्यिका भद्रमतीजी
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आपका जन्म कुन्डलपुर क्षेत्र के समीप कुमारी ग्राम में हुवा था । आपके पिता का नाम परमलालजी तथा माताजी का नाम हीराबाई था । शादी के १ वर्ष पश्चात् आप के पति का वियोग हो गया । तब ही से आपने आरा में व्र० चन्दाबाईजी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की तथा आपने सैद्धान्तिक ग्रन्थों का अध्ययन किया । आपने लाडनू में २५ वर्ष
तक अध्यापिका रह कर जैन बालिकाओं को धर्म शिक्षा का ज्ञान कराया । सन् १९६३ में खुरई चातुर्मास में आपने प्राचार्य धर्मसागरजी द्वारा क्षुल्लिका दीक्षा धारण की, तथा आचार्य श्री शिवसागरजी से आर्यिका दीक्षा ली। वर्तमान में आप आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज के संघ में रह कर श्रात्म कल्याण के मार्ग में निरत हैं ।
प्रायिका दयामतोजी
आपका जन्म सागर (गोपालगंज) में हुआ। पिताजी का नाम सिंघई श्री गोरेलालजी था । शिक्षा सामान्य थी, किन्तु धार्मिक कार्यों व्रत उपवास में प्रारम्भ से रुचि थी। हिलगन जिला सागर निवासी सिं. छोटेलालजी के साथ विवाह सम्पन्न हुआ था । कुछ समय बाद 'वैधव्य का वज्राघात हो गया । माता कनकमतीजी के सम्पर्क हो जाने से आचार्य श्री शिवसागर महाराज से श्रार्थिका दीक्षा ग्रहण करली। अभी मुनि श्री १०८ अजितसागरजी के संघ में विराजमान हैं ।
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