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दिगम्बर जैन साधु .
श्राचार्यकल्प श्री श्रुतसागरजी महाराज
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राजस्थान के प्रसिद्ध शहर वीकानेर में फाल्गुन बदी अमावस्या सम्वत् १९६२ में झावक (ओसवाल ) गोत्रोत्पन्न श्रीमान् सेठ छोगामलजी, माता श्रीमती गज्जोबाईकी कुक्षिसे आपका जन्म हुआ था। माता-पिता ने आपका नाम श्री गोविन्दलाल रखा, इकलौते और लाड़ले पुत्र होने के कारण आपको फागोलाल भी कहा करते थे ।
आपके पिता कपड़े के अच्छे व्यापारी थे। घर की स्थिति अच्छी सम्पन्न थी । आपसे बड़ी एक बहिन श्री लोनाबाईजी भी हैं जो धर्मं परायण तथा श्रात्म कल्याण की ओर अग्रसर होकर धर्म ध्यान में कालयापन करती हैं ।
पिता के होनहार, इकलौते लाड़ले पुत्र होने के साथ ही सम्पन्न परिवार में होने के कारण आपके पिताजी ने आपकी शिक्षा को विशेष महत्व न देकर प्रारम्भिक शिक्षा मात्र ही दिलाई । प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद आप पिताजी को उनके व्यावसायिक कार्य में सहयोग देते हुये कपड़े का व्यापार करने लगे । कुछ समय बाद आप अपनी कार्य निपुणता के कारण व्यापारी वर्ग में प्रतिष्ठित हुये और आपने व्यापार में प्रचुर सम्पन्नता एवं सम्मान प्राप्त किया ।
प्रारम्भ में आपके पिता श्री मुंह पट्टी वाले श्वेताम्बर आम्नाय के कट्टर अनुयायी थे । संयोग की बातः कि एक रामनाथ नाम का व्यक्ति जो कि जाति' का दर्जी, था, आपके मकान के नीचे किराए पर रहता था । वह व्यवसाय भी अपनी जाति के अनुसार सिलाई का करता था। दर्जी होते हुए भी सुयोग्य एवं दिगम्बर जैन आम्नाय के प्रति गहरी श्रद्धा रखता था । इसने अपनी विवेक