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श्राचार्य श्री पायसागरजी महाराज
आपका जन्म पैनापुर में फाल्गुन शुक्ला पंचमी वीर नि० सं० २४१५ शक सं० १८९० को हुआ था । आपने गोकाक के जैन मन्दिर में श्रीमद् आचार्य श्री शान्तिसागरजी महाराज से कार्तिक सुदी ४ वीर सं० २४५० सन् १९२३
ऐलक दीक्षा ली। सोनागिरि सिद्धक्षेत्र पर आचार्य श्री से वी० सं० २४५६ में मुनि दीक्षा ग्रहण की।
१२-१०-५६ में आपने अपना आचार्य पद मुनि अनन्तकीर्तिजी को सौंप दिया तथा स्तवननिधी तीर्थक्षेत्र पर समाधि पूर्वक शरीर को छोड़ा । आप कुशल वक्ता दीर्घ तपस्वी और कुशल प्राचार्य थे । आपने अनेकों श्रावकों को दीक्षा देकर सत्पथ में लगाया । धन्य है आपका जीवन ।
मुनिश्री मल्लिसागरजी महाराज
मुनि श्री १०८ मल्लिसागरजी का गृहस्थावस्था का नाम मोतीलालजी था । आपका जन्म . ७७ वर्ष पूर्व नांदगांव में हुआ था । आपके पिता श्री दौलतरामजी व माता श्रीमती सुन्दरबाईजी हैं । आप खण्डेलवाल जाति के भूषरण व सेठी गोत्रज हैं । आपकी धार्मिक तथा लौकिक शिक्षा साधारण ही हुई । विवाह नहीं किया, बाल ब्रह्मचारी ही रहे ।
ऐलक पन्नालालजी के उपदेश श्रवण के कारण आपमें वैराग्य प्रवृत्ति जागृत हुई । परिणामत: आपने विक्रम संवत १६८७ में सिद्धवरकूटजी क्षेत्रपर आचार्य श्री १०८ शान्तिसागरजी महाराज से मुनि दीक्षा ले ली। आप घोर तपस्वी, चारित्र शिरोमणि, मुनि रत्न हैं । आपने सिद्धवरकूट, बड़वानी आदि स्थानों पर चातुर्मास कर धर्म प्रभावना की 1.