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________________ लेखक-परिचय "कल्याण मित्र" ऊ सत्य नारायण गोयन्का जन्म : माण्डले, बरमा -- सन् 1924. बरमा के प्रसिद्ध उद्योगपति, व्यवसायी और समाजसेवी. बरमाके महालेखपाल ऊ बा खिन से सर्वप्रथम सन् 1955 में विपश्यनाकी साधना सीखी। तब से अभ्यासका क्रम जारी रहा। सन् 1969 में भारत आए। व्यापार-धंधेसे अवकाश प्राप्त कर भारतके विभिन्न स्थानों पर "विपश्यना" साधना-विधि के शिविर लगा रहे हैं। ___अब भारत एवं विदेशोंमें पांच स्थाई ध्यान-केन्द्रोंकी स्थापना हो चुकी है। यहाँ साधकोंके समुचित निवास एवं भोजनादि की स्थायी व्यवस्था है। श्रीगोयन्काजी एवं उनके सहायक आचार्यों द्वारा अधिकांश शिविर इन साधना-केन्द्रोंमें ही संचालित किए जाते हैं। इसी प्रकार देश-विदेशमें और भी कई स्थानों पर “विपश्यना-केन्द्र” स्थापित हो रहे
SR No.010186
Book TitleDharm Jivan Jine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyanarayan Goyanka
PublisherSayaji U B Khin Memorial Trust Mumbai
Publication Year1983
Total Pages119
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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