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स्टेट? श्रापका .. जैन धर्म. मीमांसा नाम का लख चित्र. मय जगत में छपा है उसे जिन पथ प्रदर्शक' श्रागरा ने दीपावली के अंक में उद्धृत किया है .उस के कुछ वाक्य
उद्धवः
(१) वेप के कारण धर्म प्रचार को रोकने वाली विपत्ति के रहते हुए जैन शासन कमी पराजित न हो कर.सर्वत्र विजयी ही होता रहा है। इस प्रकार जिस का वर्णन है वह बहनदेव साक्षात. परमेश्वर (विष्णु) स्वरूप है इसके प्रमाण भी आर्य प्रथों में पाये जाते हैं। ... .(२) उपरोक प्रान्त परमेश्वर का वर्णन वेदों में भी पाया जाता है। . .
(३) एक बंगाली वैरिटर.ने' प्रकटिकल पार्थ नामक ग्रंथ बनाया है । उस में एक स्थान पर लिखा है कि रिपमदेव का नाती मरीचि प्रति वादि था, और वेद उसके तत्वानुसार होने के कारण हो ऋगवेद आदि पथों की ख्याति उसी के शानद्वारा हुई है फलतः मरीचि रिपो के स्त्रोत, वेद पुराण आदि ग्रंथों में है यदि स्थान स्थान पर जैन. तीखीकरों का उल्लेख पाया जाता है तो कोई कारण नहीं कि हम वैदिक काल में जैन धर्म का प्रास्तित्व न मानें। ... : " . . . . . .: .
..(४) सारांश यह है कि इन सय प्रमाणों से जैन धर्म का उल्लेख. हिंदुओं के पूज्य वेद, में भों मिलता है।
(५) इस प्रकार वेदों में जैन धर्म का आस्तित्व सिद्ध करने वाले बहुत से मंत्र हैं। वेद के सिवाय अन्य पंथों में भी जैन धर्म के प्रति सहानुभूति.प्रगट करने चान्ने उल्लेख पाये जाते हैं। स्वामी जी ने इस लेख में वेद, शिव पुराणादि के कई स्थानों के मूल लोक ६ कर उस पर व्याख्या भी की है।
(९) पीछे से अव ब्राह्मण लोगों ने यज्ञ आदि में बलिदान कर 'मा हिंसात.सर्व भूतानि वाले वेदवाक्य . पर..हरताल.