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(४) ब्राह्मण धर्म पर जो जैन धर्म में नुस्ण काप मारी है उस का यश जैन धर्म ही के योग्य है । जैन धर्म में अहिंसा का सिद्धांत प्रारम्भ से है, और इस तत्व को समझने की त्रुटि के कारण चौद धर्म अपने अनुय यो. चीनियों के रूप में सर्व भक्षी हो गया है। . .
(५) पूर्ण कान में अनेक चौहण जैन पण्डित जैन धर्म के धुरन्धर विद्वान हो गए हैं।
(६) ब्राह्मण धर्म जैन धर्ग से मिलता हुआ है इस कारण टोक रहा है। बौद्ध धर्म जैन धर्म से किोष अमिल होने के कारण हिंदुस्तान से मामशेष हो गया। · ७) जैन धर्म तथा ब्राह्मण धर्म का पीछे से इतना निकट सध. हुआ है कि.स्योतिष शास्त्री भास्कराचार्य ने अपने नन्थ में जान दर्शन और :चारित्र (जैन शास्त्र विहित रत्नत्रय धर्म)
का धर्म के तस्व बतलाए हैं। . . . . .केसरी.पत्र.१३ दिसम्बर सन १९०४ में भी आप ने जैन धर्म के विषय में यह सम्मति दी है।
. गायों तथा सामाजिक ग्याख्यानों से जाना जाता है कि जैन धम अनादि है. यह विषय निर्विवाद 'तथा मत भेद रहित है। मुतरा इस विषय में इतिहास के ढ़ा सबूत हैं और निदान इस्त्री सन से ५२६ वर्ष पहले का तो न धर्म सिद्ध है हो । महावीर स्वामी जैन धर्म को पुनः प्रकाश में लाए इस बात को प्राज "२४०० वर्ष व्यतीत हो चुके है बोद्ध धर्म को स्थापना के पहले जैन धर्म फैल रहा था यह बात विश्वास करने योग्य है । चौयोस तो/करों में महावीर स्वामी अंतिम तीर्थंकर थे, इस सेमी जैन धर्म को प्राचीमंता जानी जाती है। बौद्ध धर्म पीछे से हुना
• यह वात निश्चिंत है।"