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वर्ष भादवा मुदौ ५ बुद्ध दिन कुरुजांगल देशे सुल्तान सिकंदर पुत्र सुलतान इब्राहीम राज्य प्रवर्तमाने श्री. काष्ठासंघ मथराचये । पुष्करगणे भट्टारक श्री गुणमदः मरिदेवाः तदाम्नाये-जैसवाल... चौक (धुरी ) टोडरमल्नु । चौ. जगसापुत्र इदं उत्तर पुराण टीका : लिखायत । शभ भवन । मांगल्य दधति लेखक पाठकयोः ।। इस प्रशस्ति से पाठक यह अजमान कर सकेंगे कि ४०० वर्ष पूर्व : जैसवाल भाई, इतने योग्य थे कि वे प्र कृतः अादि पुराण जैसे महत्वशाली ग्रन्थ को लिखाकर पढ़ सकते थे। क्या उनकी तुलना हम लोगों से हो सकती हैं।
जैसवाल जैन.पत्रकार्तिक शुक्लारस ९७६वीर स०२४४८ से उधृतः)
नोट-वायू प्रभुदयाल और ज्ञानचंद्र लाहोर त जैनतीर्थ यात्रा: नम्बर ३७ सन १२०१ पत्र १२३ में लिखा है कि सहारनपुर में ५०० घर सूर्यवंशी क्षत्री अंगवाल जैनियों के हैं.(यह वो जाति है.),
नोट ४-४७ वा जात--प्राचारों श्रीलामचीदांस. श्री कैलाशपर्वत यात्रा जिस को भारत वर्षीय दि जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी ने सन १३ सवार २४३ में प्रकाश किया। पत्र में वन्नी लामचीदास सूर्यवंशी गोलालारे जैनी लिखा है। इन्होंने सात में निपथ मुनि अवस्था धारण की थी।
नोट - इसी प्रकार सर्व जैन जाति के इतिहास से मालुस करना पुस्तकवेंदन के भय से और इतिहाच संप.नहीं किप. नोट:६. *ग़ज़ल *
.. जाति की सेवा करनी, यह पहला काम अपना । सेवा के वास्ते त्यह जीवन तमाम अपनाः॥ टेकं । तुम चाहे गालियां दो भर पेट निन्दा करलो । छोंडो को सेवा करनी, जीवन हराम अपना । जीते जी मर मिटेंगे, अच्छी बुस सहेंगे । सेवा. मगर करेंगे जब तक है जाम अपना ॥ सेवा का दम भरने, जब तक कि हम लियेथे ॥ जाति की है।
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